Durood E Ibrahim in Hindi | जानिए दुरूद शरीफ हिन्दी में

As-salamu alaykum आज हम देखेंगे Durood E Ibrahim in hindi | Durood E Ibrahim in hindi हर नमाज के अंदर पढ़ते है इसलिए Durood E Ibrahim in hindi जानना बेहद जरुरी है।

अगर आपको Durood E Ibrahim नहीं आता तो आज यहाँ हम सीखेंगे Durood E Ibrahim in hindi। ओर आप दुरुद शरीफ को सीखकर अपने नमाज को मुकम्मल कर सकते है।

Durood E Ibrahim in hindi

Durood E Ibrahim in hindi

अल्लाहुम्मा सल्लि’अला मुहम्मदीन वअला’ आलि मुहम्मदीन, कमा सल्लयता ‘अला’ इब्राहीमा व ‘अला’ आली ‘इब्राहीमा,’ इन्नका हमीदुन मजीद।

अल्लाहुम्मा बारिक ‘अला मुहम्मदीन व’ अला ‘आली मुहम्मदीन, कमाबारकता’ अला ‘इब्राहीमा व’ अला’ आली ‘इब्राहीमा,’ इन्नाका हमीदुन मजीद।

Durood E Ibrahim in english

Durood E Ibrahim in english

Durood E Ibrahim in hindi पढ़ने के फायदे

अब हम बात करते है की Durood E Ibrahim in hindi पढ़ने के क्या क्या फायदे हो सकते है।

  1. बारकत और रेहमत : दुरूद ए इब्राहीम पढ़ने से जीवन में बरकत आती है। यह इन्सान को चैन, सुकून और आराम प्रदान करता है। यह खास तौर से करोभार, परिवार और व्यक्तिगत जीवन में अल्लाह पाक की रेहमत पाने के लिए भी पढ़ी जाती है
  2. पैगंबर के साथ संबंध और सुरक्षा : यह दुआ हमें पैगंबर मुहम्मद (सल्ल.) के साथ एक खास संबंध में बांधती है। इसे पढ़ने से इन्सान को पैगंबर (सल्ल.) की शफाअत (सिफारिश) का मौका मिलता है, जो कि कियामत के दिन बहुत फायदेमंद होगा।
  3. अल्लाह के करीब पहुंचना : जब कोई इन्सान दुरूद ए इब्राहीम पढ़ता है, तो वह अपने दिल और रूह को अल्लाह पाक के करीब लाता है। यह एक प्रकार से अल्लाह पाक से विशेष संबंध स्थापित करने का एक तरीका है और इससे इन्सान का ईमान मजबूत होता है। यह दुआ हमें पैगंबर मुहम्मद (सल्ल.) और पैगंबर इब्राहीम (अलैहिस्सलाम) के प्रति प्यार और सम्मान को व्यक्त करने का एक जरिया है।
  4. सभी गुनाहों की माफी : दुरूद ए इब्राहीम को पढ़ने से अल्लाह पाक के सामने इन्सान की दुआ कुबूल होती है और उसके गुनाहों को माफ किया जा सकता है।

Durood E Ibrahim (दुरूद शरीफ हिन्दी में) याद करना बेहद जरुरी है।

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1. दुरूद ए इब्राहीम क्या है?

दुरूद ए इब्राहीम एक खास दुआ है जिसे रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम और उनके परिवार पर सलामतियाँ भेजने के लिए पढ़ा जाता है। इसमें पैगंबर इब्राहीम (अलैहिस्सलाम) और उनके परिवार के लिए भी सलामतियाँ भेजी जाती हैं। यह दुआ खास तोर से नमाज़ में तशाहुद (गवाही) के समय पढ़ी जाती है।

3. ”दुरूद ए इब्राहीम” को कब और कहाँ पढ़ना चाहिए?

दुरूद ए इब्राहीम को मुख्यतः नमाज़ (सलाह) के दौरान तशाहुद के वक्त पढ़ा जाता है। इसके अलावा, इसे किसी भी समय पढ़ा जा सकता है, जैसे किसी कठिनाई से गुजरते हुए या अल्लाह से दुआ करते समय।

2. दुरूद ए इब्राहीम क्यों अहम है?

दुरूद ए इब्राहीम की अहमियत इसलिए है क्योंकि यह न केवल पैगंबर मुहम्मद (सल्ल.) के प्रति सम्मान और प्यार व्यक्त करता है, बल्कि पैगंबर इब्राहीम (अलैहिस्सलाम) के प्रति भी सम्मान व्यक्त करता है।

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