Qurbani Ki Dua In Hindi | कुर्बानी की दुआ हिंदी में

Qurbani Ki Dua In Hindi

As-salamu alaykum आज इस ब्लॉग में हम देखेंगे Qurbani Ki Dua In Hindi (कुर्बानी की दुआ हिंदी में)

ईद-उल-अज़हा (बकरीद ईद) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक हज के साथ जुड़ा हुआ है। यह हजरत इब्राहिम (अलैहिस्सलाम) की सुन्नत है, जिन्होंने अल्लाह के हुक्म पर अपने बेटे हजरत इस्माइल (अलैहिस्सलाम) की कुर्बानी देने की नीयत की थी। कुर्बानी की दुआ पढ़ना इस नेक अमल का एक जरुरी हिस्सा है. यह ब्लॉग आपको कुर्बानी की दुआ, इसके महत्व, पढ़ने का तरीका, और इस्लामी शिक्षाओं के बारे में विस्तार से बताएगा। चाहे आप पहली बार कुर्बानी कर रहे हों या अपने इल्म को बढ़ाना चाहते हों, यह ब्लॉग आपको इस इबादत को सही ढंग से अंजाम देने में मदद करेगी।

कुर्बानी का महत्व

कुर्बानी हजरत इब्राहिम (अलैहिस्सलाम) की उस sacrifice की याद दिलाती है, जब उन्होंने अल्लाह के हुक्म पर अपने बेटे को कुर्बान करने की नियत की थी। अल्लाह ने उनकी कुर्बानी को स्वीकार किया और उनके बेटे की जगह एक जानवर की कुर्बानी का आदेश दिया। कुरान में इस घटना का ज़िक्र है:
“और जब वह (इब्राहिम) अपने बेटे के साथ काम करने की उम्र तक पहुंचा, तो उसने कहा, ‘ऐ मेरे बेटे! मैंने सपने में देखा कि मैं तुझे कुर्बान कर रहा हूं, अब तू बता तेरा क्या ख्याल है?’ उसने कहा, ‘ऐ मेरे अब्बा! जो हुक्म आपको दिया गया है, उसे करो। अगर अल्लाह पाक ने चाहा तो तुम मुझे सब्र करने वालों में पाओगे।'”(सूरह अस-साफ्फात, 37:102)

कुर्बानी न केवल अल्लाह के प्रति समर्पण का प्रतीक है, बल्कि यह दान, भाईचारे, और जरूरतमंदों के साथ बांटने की भावना को भी बढ़ावा देता है। मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फरमाया:
“जो इन्सान खुशी और अल्लाह की रजा के लिए कुर्बानी करता है, तो यह उसके लिए जहन्नम से बचाव का जरिया होगा।” (सुनन तिर्मिज़ी, किताब अल-अदाही, हदीस 1493)

Qurbani Ki Dua In Hindi

कुर्बानी की शर्तें और नियम

कुर्बानी करने से पहले कुछ नियमों को समझना ज़रूरी है:

  1. समय: कुर्बानी ईद-उल-अज़हा की नमाज़ के बाद 10, 11, या 12 ज़िलहिज्ज को की जा सकती है।
  2. जानवर: कुर्बानी के लिए बकरी, भेड़, गाय, बैल, भैंस, ऊंट, या दुंबा जैसे स्वस्थ और उम्र के हिसाब से उपयुक्त जानवर चुने जाते हैं।
  3. नियत: कुर्बानी अल्लाह की रजा के लिए होनी चाहिए।
  4. बांटना: कुर्बानी का गोश्त तीन हिस्सों में बांटा जाता है – एक परिवार के लिए, एक रिश्तेदारों और दोस्तों के लिए, और एक गरीबों और जरूरतमंदों के लिए।
    संदर्भ: पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फरमाया: “जब तुम कुर्बानी करो, तो अच्छी तरह करो। तुम में से हर एक को अपनी छुरी तेज करनी चाहिए और अपने जानवर को आराम देना चाहिए।” (सही मुस्लिम, किताब अल-अदाही, हदीस 4818)

कुर्बानी की दुआ Qurbani Ki Dua In Hindi

कुर्बानी करते समय खास दुआ पढ़ना सुन्नत है। यह दुआ कुर्बानी को अल्लाह के लिए समर्पित करने और उसकी स्वीकृति की प्रार्थना करने का माध्यम है। नीचे कुर्बानी की दुआ दी गई है, जिसे जानवर को ज़िबह करने से पहले पढ़ा जाता है।

कुर्बानी की दुआ (हिंदी और अरबी में)

अरबी:

Qurbani Ki Dua Hindi


रोमन लिपि:
Inni wajjahtu -wajhiya- lilladhi- fataras-samawati wal arda -hanifan wama- ana minal-mushrikeen. -Inna salati wa nusuki -wa mahyaya -wa mamati -lillahi rabbil-‘alameen. La sharika lahu -wa bidhalika umirtu -wa ana minal-muslimeen. -Allahumma minka wa laka.
हिंदी अनुवाद:

इन्नी- वज्जहतु वजहि य लिल्लज़ी- फ त रस्मावाति वल अर्दा- हनीफंव व् मा अ न- मिनल मुशरिकीन- इन न सलाती व नुसुकी मह्या य व ममाती लिल्लाहि- रब्बिल आलमीन ला शरी क लहू- व बि ज़ालि क- उमिरतु व अ न- मिनल मुस्लिमीन- अल्लाहुम्मा ल क व- मिन क बिस्मिल्लाहि -अल्लाहु अकबर.

तकबीर: दुआ के बाद, जानवर को ज़िबह करने से ठीक पहले कहें:
“بِسْمِ اللهِ اللهُ أَكْبَرْ”
(Bismillahi Allahu Akbar)
“अल्लाह के नाम से, अल्लाह सबसे बड़ा है।”

Qurbani Ki Dua In Hindi पढ़ने का तरीका

  1. नियत करें: दिल में कुर्बानी की नियत करें, जैसे: “मैं अल्लाह की रजा के लिए कुर्बानी करने की नियत करता/करती हूं।”
  2. किबला की ओर करें: जानवर का मुंह किबला (मक्का की दिशा) की ओर करें।
  3. दुआ पढ़ें: उपरोक्त दुआ को स्पष्ट और सही उच्चारण के साथ पढ़ें।
  4. तकबीर कहें: दुआ के बाद “बिस्मिल्लाहि अल्लाहु अकबर” कहकर ज़िबह करें।
  5. ध्यान दें: दुआ और तकबीर ज़बान से पढ़ना सुन्नत है, और इसे ज़िबह करने वाले व्यक्ति को पढ़ना चाहिए। अगर आप स्वयं ज़िबह नहीं कर रहे हैं, तो कसाई को दुआ पढ़ने के लिए कहें।

संदर्भ: पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने कुर्बानी के दौरान दुआ पढ़ने का तरीका सिखाया, जैसा कि हजरत आयशा (रजियल्लाहु अन्हा) से रिवायत है कि पैगंबर ने कुर्बानी करते समय उपरोक्त दुआ पढ़ी। (सुनन अबू दाऊद, किताब अल-दहाया, हदीस 2792)

Qurbani Ki Dua In Hindi का महत्व

  • अल्लाह की इबादत: दुआ कुर्बानी को अल्लाह के लिए समर्पित करती है, जिससे यह एक शुद्ध इबादत बनती है।
  • आध्यात्मिक संबंध: यह दुआ हजरत इब्राहिम (अलैहिस्सलाम) की सुन्नत को जीवित रखती है और अल्लाह के प्रति आज्ञाकारिता को दर्शाती है।
  • स्वीकृति की प्रार्थना: दुआ के माध्यम से मुस्लिम अल्लाह से अपनी कुर्बानी की कबूलियत मांगता है।
  • शील और इखलास: दुआ पढ़ते समय दिल में इखलास (ईमानदारी) और अल्लाह की रजा का उद्देश्य होना चाहिए।

कुर्बानी के कुछ महत्वपूर्ण टिप्स

  1. जानवर का चयन: सुनिश्चित करें कि जानवर स्वस्थ, बिना किसी दोष (जैसे अंधा, लंगड़ा, या बीमार) के हो।
  2. नैतिकता: जानवर को दर्द कम से कम हो, इसके लिए तेज छुरी का उपयोग करें और उसे शांति से ज़िबह करें।
  3. गोश्त का बंटवारा: गोश्त को तीन बराबर हिस्सों में बांटें – एक अपने लिए, एक रिश्तेदारों और दोस्तों के लिए, और एक गरीबों के लिए।
  4. स्वच्छता: कुर्बानी का स्थान साफ रखें और गोश्त को स्वच्छ तरीके से संभालें।
  5. महिलाओं के लिए नोट: महिलाएं भी कुर्बानी की नियत कर सकती हैं और दुआ पढ़ सकती हैं, भले ही वे स्वयं ज़िबह न करें।

सामान्य गलतियां और उनसे बचाव

  • दुआ छोड़ना: कुर्बानी की दुआ पढ़ना सुन्नत है। इसे छोड़ने से बचें।
  • गलत समय: कुर्बानी ईद की नमाज़ से पहले न करें, क्योंकि यह अमान्य होगी।
  • गलत नियत: कुर्बानी केवल अल्लाह की रजा के लिए करें, न कि दिखावे या सामाजिक दबाव के लिए।
  • जानवर का गलत चयन: सुनिश्चित करें कि जानवर इस्लामी शर्तों (जैसे उम्र, स्वास्थ्य) को पूरा करता हो।

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