Namaz kaise padhe | Namaz ka tarika

Namaz Kaise padhe | Namaz ka tarika: नमाज़ इस्लाम में फ़र्ज़ अमल है। ओर नमाज़ हर मर्द ओर ओरत के लिए फ़र्ज़ है. Namaz Kaise padhe

नमाज़ का हुक्म अल्लाह पाक की तरफ से है। नमाज़ हम इंसानो के लिए रोज़ी बरकत ओर हिदायत का जरिया है.

सूरह Al-Baqura में अल्लाह पाक ने फ़रमाया:

”तमाम नमाज़ो का पूरा-पूरा ख्याल रखो ओर (खास तोर पर ) बीच की नमाज़ का। ओर अल्लाह के सामने अदब के साथ फर्माबरदार बनकर खड़े हुवा करो”

Namaz Kaise padhe

Namaz Kaise padhe

सबसे पहिले नमाज़ पढ़ने के लिए कुछ शर्ते है

  • बदन का पाक होना
  • कपड़ो का पाक होना
  • जगह का पाक होना
  • सही वक़्त में नमाज़ पढ़ना
  • क़िब्ले की तरफ रुख करना

बदन का पाक होना

नमाज के लिए सबसे जरूरी है बदन का पाक होना. अगर आपकी गुस्ल टूट जाती है तो आपको गुस्ल कुरना पड़ेगा और अगर वजु टूट जाती है तो वजु करना पड़ेगा

तो ग़ुस्ल और वजू के सुन्नत तरिकोको सीखने के लिए आप हमारी website sikheislam.com पर देख सकते है या फिर हमारा Youtebe video देखकर भी लिख सकते है.

कपड़ो का पाक होना

Namaz पढ़ते वक्त कपड़ो का पाक होना बहोत जरुरी है. कपडे पाक होने का मतलब है, की कपड़ोंमे नापाकी नहीं होनी चाहीए जैसे की पेशाब लगना. या फिर उसी कपडोमे नापक होना. इस‌लीए नमाज में खड़े हिनेसे पहिले इन बातोंका ध्यान रखना बहुत जरूरी है।

जगह का पाक होना

नमाज पडने के लिए तीसरी शर्त यह हे की जगह का पाक होना इसलिए जिस जगह पर आप नमाज़ पढ़ रहे है उस जगहपर तहकीक करे की वहा कोई नापाक चिजे ना लगी हो,

और इसी वजह‌से उलमा एकराम मुसल्ले का इस्तेमाल करने के लिए सलाह देते है.

सही वक्त में नमाज पड़ना.

Namaz Kaise padhe : कोई भि नमाज अदा करने से पहले उन नमाज का सही वक्त जानना बहुत जरूरी है.

नमाज का सही वक्त जानने के लिए आप हमारी website – sikheislam.com पर देख सकते है

किबले की तरफ रुख करना

Namaz पड़ते वक्त किबले कि तरफ रुक करणा फ़र्ज़ है। Namaz पढ़‌ते वक्त आपका रुख गलत हो जाता है तो आपकी Namaz बातिल हो जाएगी

इसीलीये किबले कि तरफ रुख करके नमाज पडना बहोत जरुरी है

अगर आपको क़िबला किधर है नहीं पता यानी उसका रुख ढूंढ़ने में दिक्कत हो तो नीचे दिए गए app के जरिए माप किबले का रूख देख सकते है.

Namaz Kaise padhe और उसके अंदर के फ़र्ज़

नमाज कि नीयत करणा

Namaz Kaise padhe | Namaz पढ़ते समय सबने पेह‌ले हमे Namaz की नियत करणी पड़ेगी

जैसे की :- नियता कि मौने (दो, तीन, चार, जितनी रकात हो उतनी रकात कहे.) रकआत नमाज (फजर, जुहर, मगरिब, इया. यहा पर किस वक्त का समय हो उसका नाम ले) की (सुन्नत, कर्ज, वाजिब, नफल)। वास्ते अल्लाह तआला के लिए रुकू मेरा काबे शरीफ कि तरफ अलाहु अक्बर”

क़ियाम करना (खड़े होना)

क़ियाम करने का मतलब है. नमाज के दौरान सीधे खड़े होना.

किरात करना

किरात करना नमाज में फ़र्ज़ है

किरात करने का मतलब है नमाज मैं खड़े होकर सुरह फ़ातिहा और कुछ आयते पढ़ना और अगर आप जमात के साथ नमाज अदा कर रहे है तो आपको ध्यानसे इमाम की किरात सुननी है.

नमाज अकेले में पढ़ते समय धीमी आवाज़ में हमे खुदसे सूरह फ़ातिहा और उसके बाद कोई और सूरह पढ़‌ना है.

रुकू करना

रुकू में आपको झुकना होता है. उसे रुकू कहते है

और नबी (सलल्लाहु अलैहि वसल्लम) की सुन्नत है कि आप सलल्लाहु अलैहि वसल्लम कमर मुबारक को झुकाते थे और धीमी आवाज में तीन बार ” सुब्हान रब्बील अजीम” पढ़ते थे

सजदा करणा

नमाज मे सजदा करणा फ़र्ज़ है.

नमाज की हर रकात में दो बार सजदा फ़र्ज़ है. सजदे मे जमीन पर दोनो हाथ और उनके बीच पेशानी को जमीन पर रखना होता है ओर अपने नाक को भी जमीन पर रखे

कदा-ए -आखीरा आखिरी रकात मे बैठना

कदा-ए -आखीरा का तरीका

  • सबसे पहले आत्तहियात पढ़ना
  • उसके बाद “दुरुद इब्राहीम” (दुरूद शरीफ)
  • आखीर में दुवा मासुरा पढ़ना चाहीए

“खुरुज बेसुनइहि (सलाम फेरना)

सलाम फेरने का तरीका ये है कि आप पहने ”अस्सलामु अलैकुम वरहमतुल्लाह” बोले और दाएं तरफ मुँह फेरे फिर ”अस्सलामु अलैकुम वरहमतुल्लाह” कहकर बाएं तरफ मुह फेरे ईस तरह आपकी नमाज मुकम्माल हो जाएगी.

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