Namaz ka Tarika – नमाझ का तरीका. आज हम यहाँ जानेंगे नमाज कैसे पढ़े, सबसे पहले सीधे खड़े हो जाएं ओर यद् रखें कि आपका रुक काबा की तरफ हो. Namaz ka tarika.
नमाज़ से हम अल्लाह पाक से करीब होते है ओर नमाज़ से हमारी सखिरत ओर दुनिया दोनों बेहतर होते है. नमाज़ के जरिये इंसान अपने ख़तों की माफ़ी मांगता है आवर अल्लाह पाक से बरकत ओर रेहमत तलाश करता है. नमाज़ जरिया है अपनी जिंदगी को बरकत ओर हिदायत से भरने का. नमाज़ दिल से ओर सही वक्त पर पढ़नी चाइये।
Namaz islam में फर्ज अमल है। यह हर मर्द और औरत के लिए फर्ज है. दिलों का सुकून सिर्फ अल्लाह पाक की याद में है.
नमाज़ पढ़ने के लिए सबसे जरुरी है ग़ुस्ल, वजू, और साथ ही नमाज की नियत: सूरह, और दुआ और पाक साफ़ बदन, होगा चाहीए.
कुछ शर्ते नमाज पढ़ने के लिए
नमाज का तरिका जाननेसे पहले आपको कुछ शर्त याद रखनी है जो बहोत जरूरी है.
- नमाज कि नियत करणा।
- बदन पाक होना चाहिए
- कपड़े पाक होने चाहिए
- नमाज का सही वक्त होना चाहिए
- जगह पाक होनी चाहिए
- गुस्ल होना चाहिए
- वजु करनी चाहिए
- किबले के तरफ रुख करना
Table of Contents
Namaz Ka Tarika
तो आइये Namaz ka Tarika जानते है
सबसे पहले वजू करे फिर मुसल्ला बिछाये और काबा कि तरफ रुख करके खड़े हो जाये।
अगर काबा का रूख नहीं पता तो इस App से कुंठ सकते हो.
नियत करें
उसके बाद नमाज कि नियत करे.
फिर ”सना” यानी सुबहान कल्ला हुम्मा को पढ़े.
फिर अउजु बिल्लाहि मिनश शैतान निर्रजिम. “बिस्मिल्लाही रहमानी रहीम”. फिर सुरे फातिहा पड़े.
अब ”बिस्मिल्लाही रहमानी रहीम” पढ़कर कोई भी सुरह पढ़े :
उसके बाद ”अल्लाहु अकबर” कहे फिर रुकू करे.
रुकुमे ३ बार “सुब्हान रब्बीयल अजिम ” पढ़े फिर समीअल्लाहु लिमन हमिद ” या फिर रब्बना लकल हम्द ” कहे और खड़े हो जाए,
अब ”अल्लाहु अकबर” कहे और फिर सजदे में जाये सजदे में ”सुबहाना रब्बीयल अला” तीन मर्तबा पढ़े फिर बैठ जाए फिरसे ”अल्लाहु अकबर” कहकर सजदे में चले जाए और साजदेमे फिरसे ३ बार ”सुबहाना रब्बीयल अला” पढ़े और इस तरह आपकी १ रकात नमाज़ पूरी हो गई.
नमाज १ रकात, २ रकात, या ४ रकात होती है. Namaz ka tarika
Namaz Ka Tarika
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम पढ़े और फिर “अलहमदु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन” फिर से पढ़े और फिर बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम पढ़कर कोई भी सूरह को पढ़े.
अब ”अल्लाहु-अकबर” कहे ओर रुकूह में जाए फिर रुकूह में ”सुब्हाना रब्बीयल अजिम” 3 बार पढ़े आगे ”समिअल्लाहु लिमन हमिदह” या फिर ”रब्बाना लक्ल हमद” पढ़े ओर खड़े हो जाये।
उसके बाद ”अल्लाहु अक्बर’..कहकर सजदा करे सज्दे में ”सुब्हाना रब्बीयल आला” पढ़े और उसके बाद “अल्लाह हु अकबर” कहकर बैठ जाए और फिरसे दुबारा सज्दे में जाये सजदे में ”सुब्हाना रब्बीयल आला” कहे और ”अल्लाह हु अकबर” बोलकर बैठ जाये।
अब आगे ”अत्तहीयातु लिल्लाहि” पढ़े.
उसके बाद ”दुरुद इब्राहिम” पढ़े.
उसके बाद दुआ ए मसुरा पढ़े.
लास्ट में सलाम फेरे पहले दाए तरफ फिर बाए तरफ फिर दो बार कहे – ”अस्सलामु अलैकुम वा रहमतुल्ला”
ये आयते बयान करती है नमाज़ के अहमियत को.
- सुराह अल-बाकरा (2:153):
- सूरह अल-मुजादिलह (58:13):
- सुराह अल-बाकरा (2:238):
islam में नमाज़ की अहमियत।
नमाज़ को गलत कामों से रोकने का जरिया माना जाता है.
यह अल्लाह को याद करने का तरीका है.
नमाज़ को दिल का सुकून माना जाता है.
उम्मीद है आपको Namaz ka tarika मालूम चला होगा
अगर आपको ये ब्लॉग अच्छा लगा तो इस पैग़ाम को अपने परिवार के साथ शेयर कीजिये। ऐसी ओर जानकारी के लिए आप हमारे youtube channel को subscribe कर सकते है.
ओर पढ़े