As-salamu alaykum आज हम जानेंगे Eid ul adha namaz ka tarika ईद उल अधा, जिसे बकरीद भी कहा जाता है, मुस्लिम समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह त्योहार हजरत इब्राहिम (अलैहिस्सलाम) की कुर्बानी की याद में मनाया जाता है। इस दिन विशेष नमाज, यानी ईद की नमाज, अदा की जाती है। इस ब्लॉग में हम आपको ईद उल अधा की नमाज का तरीका विस्तार से बताएंगे, ताकि आप इसे सही ढंग से अदा कर सकें।
Eid ul adha namaz ka tarika

ईद की नमाज की तैयारी
ईद की नमाज अदा करने से पहले कुछ महत्वपूर्ण तैयारियां करनी चाहिए:
- गुस्ल (पवित्र स्नान): ईद की नमाज से पहले गुस्ल करना सुन्नत है। इससे शरीर और आत्मा दोनों शुद्ध होते हैं।
- साफ कपड़े पहनें: नए या साफ-सुथरे कपड़े पहनें। यह ईद के उत्सव का हिस्सा है।
- खुशबू लगाएं: इत्र या खुशबू का उपयोग करना भी सुन्नत है।
- खजूर खाएं: नमाज के लिए मस्जिद जाने से पहले कुछ खजूर या कोई मीठी चीज खाना सुन्नत है।
- समय का ध्यान रखें: ईद की नमाज सुबह सूरज निकलने के बाद और दोपहर से पहले अदा की जाती है।
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Eid ul adha namaz ka tarika
ईद की नमाज दो रकात की होती है और इसे जमात के साथ मस्जिद या ईदगाह में अदा करना बेहतर है। नीचे इसका तरीका स्टेप-बाय-स्टेप बताया गया है:
- नियत करें: सबसे पहले दिल में नमाज की नियत करें। उदाहरण: “मैं दो रकात नमाज ईद उल अधा की, वाजिब, अल्लाह तआला के लिए, पीछे इस इमाम के, मुंह मेरा काबा शरीफ की तरफ, अल्लाहु अकबर।”
- पहली रकात:
- इमाम के साथ “अल्लाहु अकबर” कहकर नमाज शुरू करें।
- सना (सुब्हानक अल्लाहुम्मा…) पढ़ें।
- इसके बाद इमाम सात बार “अल्लाहु अकबर” कहेंगे। हर बार उनके साथ “अल्लाहु अकबर” कहें और हाथ उठाकर कान तक ले जाएं, फिर छोड़ दें।
- इमाम सूरह फातिहा और कोई अन्य सूरह पढ़ेंगे, इसे ध्यान से सुनें।
- फिर रुकू, सजदा और बाकी नमाज का तरीका सामान्य नमाज की तरह होगा।
- दूसरी रकात:
- दूसरी रकात में इमाम सूरह फातिहा और कोई सूरह पढ़ेंगे।
- इसके बाद इमाम पांच बार “अल्लाहु अकबर” कहेंगे। हर बार उनके साथ “अल्लाहु अकबर” कहें और हाथ उठाकर कान तक ले जाएं, फिर छोड़ दें।
- फिर रुकू, सजदा और बाकी नमाज सामान्य तरीके से पूरी करें।
- नमाज के बाद:
- नमाज पूरी होने के बाद इमाम खुतबा (उपदेश) देंगे। इसे ध्यान से सुनें।
- खुतबा सुनना वाजिब है, इसलिए बीच में उठकर न जाएं।
कुर्बानी का महत्व
ईद उल अधा की नमाज के बाद कुर्बानी की जाती है। यह हजरत इब्राहिम (अलैहिस्सलाम) की सुन्नत है, जिन्होंने अल्लाह के हुक्म पर अपने बेटे हजरत इस्माइल (अलैहिस्सलाम) की कुर्बानी देने की इच्छा दिखाई थी। कुर्बानी का मांस तीन हिस्सों में बांटा जाता है: एक हिस्सा गरीबों के लिए, एक हिस्सा रिश्तेदारों और दोस्तों के लिए, और एक हिस्सा अपने परिवार के लिए।
ईद की नमाज से जुड़े कुछ जरूरी नियम
- ईद की नमाज में कोई अजान या इकामत नहीं होती।
- नमाज जमात के साथ पढ़ना बेहतर है, लेकिन अगर कोई कारणवश अकेले पढ़े, तो भी नमाज सही है।
- महिलाएं भी ईद की नमाज पढ़ सकती हैं, चाहे मस्जिद में या घर पर।
- नमाज के बाद एक-दूसरे से गले मिलकर ईद की मुबारकबाद देना सुन्नत है।
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