मुहर्रम इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना है, जो मुस्लिम समुदाय के लिए अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता है। यह महीना न केवल इस्लामिक नव वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है, बल्कि यह शिया और सुन्नी मुसलमानों के लिए धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व भी रखता है। इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि Muharram kab hai 2025, इसका महत्व क्या है, और आशूरा का दिन क्यों खास है।

Muharram kab hai 2025: तारीख और शुरुआत
इस्लामी कैलेंडर चाँद की स्थिति पर आधारित है, जिसके कारण मुहर्रम की तारीख हर साल बदलती है। नए महीने की शुरुआत चाँद के दिखने से तय होती है। विभिन्न स्रोतों के अनुसार, 2025 में मुहर्रम 26 जून या 27 जून, 2025 को शुरू होने का अनुमान है।
- 1 मुहर्रम – 1447 हिजरी: – 26 या 27 जून 2025
- आशूरा (10वां दिन): 5 या 6 जुलाई 2025 को मनाया जाएगा।
सटीक तिथि की पुष्टि के लिए 25 जून 2025 को चाँद का अवलोकन करना आवश्यक है। तिथि की घोषणा भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में स्थानीय चंद्रमा के दर्शन के आधार पर की जाती है।
मुहर्रम का महत्व Muharram kab hai 2025
मुहर्रम को इस्लाम में रमजान के बाद दूसरा सबसे पवित्र महीना माना जाता है। यह महीना इस्लामिक नव वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है और इसे चार पवित्र महीनों (मुहर्रम, रजब, धुल कादा, और धुल हिज्जा) में से एक माना जाता है।
शिया मुसलमानों के लिए
शिया समुदाय के लिए मुहर्रम शोक और मातम का महीना है। इस महीने, विशेष रूप से पहले 10 दिनों में, हजरत इमाम हुसैन (पैगंबर हजरत मुहम्मद के नवासे) और उनके 72 साथियों की शहादत को याद किया जाता है, जो 680 ईस्वी में कर्बला की जंग में शहीद हुए थे।
- आशूरा का दिन: 10वां दिन, जिसे यौम-ए-आशूरा कहा जाता है, शिया मुसलमानों के लिए शोक का प्रतीक है। इस दिन वे काले कपड़े पहनते हैं, मातम मनाते हैं, और जुलूस निकालते हैं।
- जुलूस और ताजिया: शिया समुदाय के लोग ताजिया (इमाम हुसैन के मकबरे की प्रतिकृति) निकालते हैं और सड़कों पर नंगे पांव चलते हुए मातम करते हैं।
सुन्नी मुसलमानों के लिए
सुन्नी समुदाय मुहर्रम को शोक के बजाय इबादत और रोजे के साथ मनाता है। आशूरा के दिन (9वें और 10वें या 10वें और 11वें दिन) रोजा रखना सुन्नत माना जाता है। यह रोजा हजरत मूसा (अलैहिस्सलाम) और उनकी कौम को फिरौन से मुक्ति मिलने की याद में रखा जाता है।
- आप हजरत मुहम्मद (सल्ल.) ने कहा, “रमजान के बाद सबसे बेहतर रोजा Muharram का है।”
आशूरा का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व
आशूरा, जो मुहर्रम का 10वां दिन है, कई ऐतिहासिक घटनाओं से जुड़ा है। कुछ प्रमुख घटनाएं इस प्रकार हैं:
- कर्बला की जंग: हजरत इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत।
- हजरत मूसा की मुक्ति: अल्लाह ने हजरत मूसा और उनकी कौम को फिरौन से बचाया।
- हजरत नूह की नाव: हजरत नूह की नाव बाढ़ से सुरक्षित जमीं पर पहुंची।
- हजरत इब्राहिम की क्षमा: अल्लाह ने हजरत इब्राहिम की तौबा को कबूल किया।
- आदम और हव्वा की सृष्टि: कुछ मान्यताओं के अनुसार, अल्लाह ने इस दिन आदम और हव्वा को बनाया।
भारत में Muharram kab hai 2025
भारत में मुहर्रम एक राजपत्रित अवकाश है, खासकर आशूरा के दिन (5 या 6 जुलाई 2025)। इस दिन सरकारी कार्यालय, डाकघर, और बैंक बंद रहते हैं।
- उत्सव और परंपराएं: भारत में मुहर्रम को शिया और सुन्नी दोनों समुदाय मनाते हैं। कर्नाटक, केरल, और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में मुहर्रम की धूम विशेष रूप से देखी जाती है।
- ताजिया की परंपरा: भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, और म्यांमार में ताजिया निकालने की परंपरा है, जो विशुद्ध रूप से दक्षिण एशियाई संस्कृति का हिस्सा है।
- जुलूस और मातम: शिया समुदाय के लोग सड़कों पर जुलूस निकालते हैं, जिसमें वे मातम करते हैं और इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हैं।
मुहर्रम की तैयारियां और सावधानियां
- चांद की पुष्टि: मुहर्रम की सटीक तारीख जानने के लिए स्थानीय मस्जिदों या इस्लामिक संगठनों से संपर्क करें।
- यात्रा की योजना: मुहर्रम के दौरान मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में जुलूस और प्रार्थना सभाओं के कारण यातायात प्रभावित हो सकता है।
- शिया समुदाय के लिए: पहले 10 दिनों में शादी जैसे उत्सवों से बचें, क्योंकि यह शोक का समय होता है।
- सुन्नी समुदाय के लिए: आशूरा के दिन रोजा रखने की योजना बनाएं।
मुहर्रम और Muharram kab hai 2025
मुहर्रम के साथ इस्लामिक नव वर्ष (1447 हिजरी) की शुरुआत होती है। यह समय आत्म-चिंतन, दुआ, और नेक कामों के लिए समर्पित होता है। मुस्लिम समुदाय इस अवसर पर अल्लाह की इबादत करता है और समाज में शांति और भाईचारे का संदेश फैलाता है।
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