roza kholne ki dua | रोजा खोलने की दुआ हिंदी में

As-salamu alaykum आज हम देखेंगे ”roza kholne ki dua”. रमजान का महीना इस्लाम में सबसे पाक और अहम महीनों में से एक है। यह वह महीना है जब हम मुसलमानों पर रोज़ा रखना फरज़ होता है। पूरे महीने में सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक खाने-पीने और अन्य शारीरिक इच्छाओं से दूर रहना होता है। इसके अलावा, रमजान के पूरे महीने में इन्सान को सच्चे दिल से अल्लाह की इबादत करनी होती है।

रोज़ा सही समय पर खोलना बहोत जरुरी है, क्योंकि यह वह समय होता है जब रोज़ेदार अपने रोज़े को खोलते है और अल्लाह की रेहमत की दुआ करते है । रोज़ा खोलने के समय खास दुआ पढ़ना जरुरी है। इस ब्लॉग में हम “roza kholne ki dua” के बारे में विस्तार से जानेंगे।

roza kholne ki dua

roza kholne ki dua

रोज़ा खोलते समय एक विशेष दुआ है, जिसे हम सच्चे दिल से पढ़ते हैं। यह दुआ है:

अल्लाहुम्मा इन्नी लका सुमतु,व-बिका आमन्तु,व अलैका तवक्कल्तु,व अला रिज़किका अफतरतू

तर्जुमा-
ऐ अल्लाह मैंने सिर्फ तेरी खातिर रोजा रखा और सिर्फ तुझिपर ईमान लाया और सिर्फ तुझ पर भरोसा किया और तेरे रिज्क से इसे खोल रहा हूं।

यह दुआ विशेष रूप से रमजान के उपवास को समाप्त करने के लिए पढ़ी जाती है। इसमें हम अल्लाह से धन्यवाद करते हैं कि उसने हमें रोजा रखने की ताकत दी और अब हमें उसे खोलने का मौका दिया। यह दुआ हमारे दिल की शुक्रगुज़ारी और आत्मिक समर्पण को व्यक्त करती है।

roza kholne ki dua का महत्व

रमजान के पूरे महीने में रोज़ा रखने से हमारी रूह को पाक करने और अल्लाह के करीब जाने का मौका मिलता है। जब कोई व्यक्ति दिनभर का रोज़ा खोलता है, तो उसका दिल एक नए प्रकार की ताजगी और शांति से भर जाता है.

रोज़ा खोलने के समय हम अपने सारे गुनाहों की माफी मांगते हैं और अल्लाह से अपनी मन्नतों को पूरा करने की दुआ करते हैं। इसके अलावा, यह दुआ हमें यह याद दिलाती है कि हम सिर्फ शारीरिक भूख और प्यास से नहीं लड़ रहे हैं, बल्कि अपने आत्मिक विकारों से भी जूझ रहे हैं।

और कौन-कौन सी दुआएं पढ़ सकते हैं?

रोज़ा खोलने के समय केवल एक दुआ ही नहीं, बल्कि कुछ अन्य दुआएं भी पढ़ी जा सकती हैं। इनमें से कुछ प्रमुख दुआएं निम्नलिखित हैं:

  1. दुआ-ए-फत्ह:
    यह एक विशेष दुआ है जिसे रमजान के महीने में पढ़ना बहुत फायदेमंद होता है। यह दुआ सफलता ओर जो भी हम काम कर रहे है उसमे अल्लाह की मदत के लिए की जाती है।
  2. दुआ-ए-मग़फिरत:
    इस दुआ में अल्लाह से माफी और रेहमत मांगी जाती है, ताकि इन्सान अपने गुनाहों से दूर हो सके और अल्लाह की रेहमत में रहे।
  3. अस्तगफार:
    यह दुआ रोज़े बाद की जाती है, जो खास से अल्लाह से तमाम बुराईयों से बचने के लिए की जाती है।

रोज़ा खोलने के समय का महत्व (roza kholne ki dua)

रोज़ा खोलने का समय रमजान के दिन का सबसे खुशहाल पल होता है। सूरज डूबने के बाद जब हम अपनारोज़ा खोलते हैं, तो यह समय न केवल शारीरिक राहत का होता है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक अवसर भी होता है। इस समय को हम अल्लाह की रेहमत, बरकत और मदत की दुआ करते है।

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