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9 Muharram roza niyat | 9 मुहर्रम के रोज़े की नियत

Muharram इस्लामी हिजरी कैलेंडर का पहला महीना है और यह चार पवित्र महीनों में से एक माना जाता है। इस महीने में रोज़े रखने की खास अहमियत है, खासकर 9 और 10 मुहर्रम के दिन, जो यौम-ए-आशुरा के रूप में जाने जाते हैं। इन दिनों में रोज़ा रखने से अल्लाह की रहमत और बरकत भी प्राप्त होती है। इस ब्लॉग में हम 9 Muharram roza niyat के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे, जिसमें नियत का तरीका, समय, और इसकी फजीलत शामिल है। यह लेख खास तौर पर उन लोगों के लिए है जो इस विषय में जानकारी चाहते हैं और इसे सही तरीके से लागू करना चाहते हैं।

9 Muharram roza niyat

मुहर्रम का महीना इस्लाम में बहुत खास माना जाता है। हजरत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) ने इस महीने में रोज़े रखने की प्रेरणा दी थी। खासकर 10 मुहर्रम का रोज़ा, जो यौम-ए-आशुरा के नाम से प्रसिद्ध है, को सुन्नत माना जाता है। इसके साथ ही 9 मुहर्रम का रोज़ा भी रखने की सलाह दी जाती है, क्योंकि यह और भी अधिक सवाब दिलाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन रोज़ा रखने से पिछले साल के गुनाह माफ हो सकते हैं, जैसा कि कई हदीसों में रिवायत है।

9 Muharram roze ki niyat

9 मुहर्रम का रोज़ा क्यों रखें?

9 मुहर्रम और 10 मुहर्रम के रोज़े को साथ में रखने की सलाह दी जाती है ताकि यहूदियों के तरीके से अलग हटकर इस्लामी परंपरा को अपनाया जा सके। हदीस में वर्णित है कि हजरत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) ने 10 मुहर्रम के रोज़े के साथ 9वें दिन का रोज़ा भी रखने का इरादा जताया था। हालांकि, कुछ लोग केवल 10 मुहर्रम का रोज़ा ही रखते हैं, लेकिन 9 और 10 को एक साथ रखने से अधिक आध्यात्मिक लाभ मिलता है।

9 Muharram roza niyat

नियत दिल से इरादा है, जो रोज़े रखने के लिए जरूरी है। नियत को ज़बान से कहना जरूरी नहीं है, लेकिन यह मुस्तहब माना जाता है। 9 मुहर्रम के रोज़े की नियत निम्नलिखित तरीके से की जाती है:

9 Muharram roza niyat

Niyat ka sahi tarika

2025 में 9 Muharram ki tarikh

हिजरी कैलेंडर चंद्रमा पर आधारित होता है, इसलिए तारीखें हर साल बदलती हैं। 2025 में, अगर चांद 4 जुलाई 2025 को दिखाई देता है, तो 1 मुहर्रम 5 जुलाई 2025 से शुरू होगा। इस आधार पर:

कृपया स्थानीय मौलवी या Islamic Calendar से पुष्टि करें, क्योंकि चांद दिखाई देने पर तारीखें थोड़ी बदल सकती हैं।

9 Muharram ke roze ki fazilat

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