10 muharram roza niyat: महत्व, नियत और इससे जुड़ी जानकारी

10 muharram roza niyat

मुहर्रम इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना है, जो मुस्लिम समुदाय के लिए विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखता है। इस महीने की 10 muharram roza niyat, जिसे आशूरा के नाम से जाना जाता है, विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। इस दिन रोज़ा रखना सुन्नत है और इसे बहुत पुण्यकारी माना जाता है। इस ब्लॉग में हम मुहर्रम इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना है, जो मुस्लिम समुदाय के लिए विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखता है। इस महीने की 10वीं तारीख, जिसे आशूरा के नाम से जाना जाता है, विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। इस दिन रोज़ा (उपवास) रखना सुन्नत है और इसे बहुत पुण्यकारी माना जाता है। इस ब्लॉग में हम 10 muharram roza niyat, इसके महत्व, और इससे जुड़े तथ्यों के बारे में विस्तार से जानेंगे।

10 muharram roza niyat (आशूरा) का महत्व

10 muharram आशूरा का दिन Islam में इस दिन को विशेष महत्व दिया गया है

  1. पैगंबर मुहम्मद (स.अ.व.) की सुन्नत: हज़रत मुहम्मद (स.अ.व.) ने आशूरा के दिन रोज़ा रखने की सलाह दी थी। उन्होंने कहा कि यह रोज़ा पिछले एक साल के गुनाहों का प्रायश्चित करता है।
  2. हज़रत मूसा (अ.स.) की घटना: इस दिन अल्लाह ने हज़रत मूसा (अ.स.) और उनकी कौम को फिरऔन की सेना से नजात दी थी। इस उपलक्ष्य में हज़रत मूसा (अ.स.) ने इस दिन रोज़ा रखा था।
  3. करबला की घटना: शिया समुदाय के लिए 10 मुहर्रम का दिन हज़रत इमाम हुसैन (र.अ.) की शहादत की याद में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। इस दिन को यौम-ए-आशूरा के रूप में मनाया जाता है।
10 muharram roza niyat

10 muharram roza niyat

रोज़ा रखने से पहले नियत करना अनिवार्य है। नियत दिल में की जाती है, लेकिन इसे ज़बान से कहना भी बेहतर माना जाता है। 10 मुहर्रम के रोज़ा की नियत निम्नलिखित है:

हिंदी में नियत:
“नव्वैतु अन असूमा गदल लिल्लाहि तआला मिन फज्रि हाज़ल यौमि इला मग़रिबीहि सुन्नतन लिल्लाहि तआला।”
अर्थ: मैंने नियत की कि मैं कल सुन्नत के तौर पर अल्लाह तआला की रजा के लिए सुबह फज्र से लेकर मग़रिब तक रोज़ा रखूंगा।

अगर आप दिन में यानी तुलुए फज्र के बाद नियत करें तो इस तरह करें

“नवैतु अन आसुमा हज़ल यौमा लिल्लाहि ताला मिन शाहरिल मुहर्रमी हज़ा”

मतलब: नियत की मैंने आज के दिन इस महीने मुहर्रम के रोज़ की बर्बादी अल्लाह ताला के,

ध्यान देने योग्य बातें:

  • नियत रात में या सुबह फज्र से पहले की जानी चाहिए।
  • अगर कोई भूल से बिना नियत के रोज़ा शुरू कर दे, तो वह दोपहर (ज़व्हाल) से पहले नियत कर सकता है, बशर्ते उसने कुछ भी खाया-पिया न हो।
  • नियत को दिल से सच्चाई के साथ करना चाहिए।

10 मुहर्रम के रोज़ा के नियम

  1. सुबह से शाम तक उपवास: रोज़ा सुबह फज्र की अज़ान से शुरू होता है और मग़रिब की अज़ान तक चलता है।
  2. नैतिक व्यवहार: रोज़ा केवल खाने-पीने तक सीमित नहीं है। इस दौरान गलत बातों, झूठ, गीबी, और बुरे व्यवहार से भी बचना चाहिए।
  3. 9वें या 11वें दिन का रोज़ा: पैगंबर मुहम्मद (स.अ.व.) ने सलाह दी थी कि आशूरा के रोज़ा के साथ 9वें या 11वें दिन का रोज़ा भी रखा जाए ताकि यह यहूदी परंपरा से अलग हो।

10 muharram roza niyat

आशूरा के रोज़ा के फायदे

  1. गुनाहों की माफी: हदीस के अनुसार, आशूरा का रोज़ा पिछले एक साल के छोटे गुनाहों को माफ करवाता है।
  2. सवाब में बढ़ोतरी: यह रोज़ा अल्लाह की रजा और सुन्नत को पूरा करने का एक बेहतरीन तरीका है।
  3. आध्यात्मिक विकास: रोज़ा इंसान को धैर्य, संयम, और आत्म-नियंत्रण सिखाता है।
  4. ऐतिहासिक महत्व: यह दिन हमें हज़रत मूसा (अ.स.) और हज़रत इमाम हुसैन (र.अ.) जैसे महान व्यक्तित्वों की कुर्बानियों को याद दिलाता है।

आशूरा के दिन की अन्य गतिविधियाँ

करबला की याद: शिया समुदाय इस दिन मातम और मजलिस का आयोजन करता है, जिसमें हज़रत इमाम हुसैन (र.अ.) की शहादत को याद किया जाता है।, इसके महत्व, और इससे जुड़े तथ्यों के बारे में विस्तार से जानेंगे।

दुआ और इबादत: इस दिन अधिक से अधिक दुआ, नमाज़, और कुरान की तिलावत करनी चाहिए।

सदका और खैरात: आशूरा के दिन दान करना बहुत पुण्यकारी माना जाता है।

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